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11th Chemistry - Important Question's

Chapter 1 :   Basic Concepts of Chemistry   :- 1.  Calculate mass in grams of  a)  An atom of Sulphur.  b)  A molecule of H2O 2.  What is Molarity and Molality . Differences between them  ? 3.  What is law of multiple proportion ?  4.  Calculate the molecular formula of an oxide of Fe contain 69.9g and 30.1g of Fe and O respectively in percentage mass.  ( Molar mass of oxide = 159.8 g/mol and Fe = 55.85 ,   O = 16.00  ) 5.  What Will be mass of 01 Mole NaCl and  02 Mole of H²O.  6. Law of Definite Proportion. Chapter 2:  Structure of Atom : - 1.   What is dual nature of substance ?  Establish De-Broglie equation.  2.   What are four quantum numbers.  Explain.  3.  What is emissions Spectra ? Write the Postulate of Bohr's Atomic Model . 4.   What is Pauli's Exclusion Principle . Write it's two Application . 5.    Explain  Heisenberg  uncertainty Principle.  Chapter 3 :   Classification of Elements and Periodicity in Properties  :- 1.  Why Electron Affinity of Be and Mg is Ze

मौर्य राजवंश और बस्तर एक संभावना

हम सभी को पता है कि मौर्य राजवंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा की गई थी अपने गुरु विष्णु गुप्त अर्थात चाणक्य द्वारा मार्ग दिखाने पर । चंद्र गुप्त मौर्य किस तरह से एक सम्राट बने इसके ऊपर हमारे इतिहासकारो द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई है । पर हम यहां पर उनकी कहानियों पर नहीं जाएंगे , हम चलते हैं इन कहानियों के थोड़ा पीछे चंद्रगुप्त मौर्य अथवा यह मौर्य उपनाम कहां से आता है । चाणक्य का मुख्य स्थान देखा जाए तो वह था तक्षशिला और इसी तक्षशिला में उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को शिक्षा भी दी थी । अगर गौर किया जाए तो चाणक्य चंद्रगुप्त के गुरु बनने के पूर्व धनानंद के दरबार पर गए थे और उन्होंने धनानंद को सेना एकत्र कर बाहरी यवन आक्रमण के प्रति तैयार रहने हेतु सहायता मांगी थी । इतिहास में हमें बहुत अधिक स्रोत तो नहीं मिलते पर एक आकलन यह किया जा सकता है कि तक्षशिला के तत्कालीन राजा द्वारा हो सकता है चाणक्य को एक दूत बनाकर भेजा गया हो धनानंद से सहायता मांगने । अथवा यह भी हो सकता है कि चाणक्य अपने देश भक्ति और राष्ट्र निष्ठा के कारण धनानंद के पास सहायता हेतु गए होंगे । धनानंद द्वारा चाणक्य का एक ब्र

शिक्षा क्षेत्र, पैसे का खेल और धर्मांतरण का बढ़ता प्रभाग

चलिए आज हम जगदलपुर में मौजूद एक बड़े मिशनरी स्कूल के बारे में चलो आज बात करते हैं ।  वह कुल छात्रों की संख्या 4000 के करीब है । और हर एक छात्र पहले से 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों की औसत फीस हम ₹2000 हर महीने का मान लेते हैं । हम यह भी मान लेते हैं कि हो सकता है किसी कक्षा में फीस ₹500 कम होगा और किसी कक्षा में फीस हजार ज्यादा भी होगा । ₹2000 ( फीस) गुणा 4000 बच्चे। यह हुआ कल 80 लाख रुपये 1 महीने का आवक ।  अगर इस सालाना पैमाने पर लिया जाए तो कुल आवक उक्त विद्यालय की हो जाती है 9 करोड़ 60 लाख रुपए से अधिक ।  हम यह भी मान लेते हैं कि 4000 बच्चों पर हो सकता है उसे विद्यालय में 100 शिक्षक और 40 अन्य कर्मचारी भी जरूर होंगे । इसमें से कुछ शिक्षकों की तनख्वाह ₹10000 कुछ कर्मचारियों की तनख्वाह ₹15 000 कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों की तनख्वाह ₹40000 भी हो सकती है पर हम एक औसत लेकर चलते हैं की प्रति कर्मचारी या हर महीने ₹25000 खर्च कर रहे हैं । 140 गुणा 25000₹ = यह खर्च आता है लगभग 35 लख रुपए प्रतिमाह और अगर इस सालाना आंकड़े पर लिया जाए तो यह आता है 4 से 5 करोड़ के करीब सालाना । हम यह भी मान लेते हैं की

श्री राम स्तुति : जीवन में यश प्राप्त करने हेतु

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श्री राम स्तुति : इसका दिन में केवल एक बार पाठ करना । व्यक्ति को जीवन में यश मिलता है । नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥ निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥ प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥ प्रलंब बाहु विक्रमं । प्रभोऽप्रमेय वैभवं ॥ निषंग चाप सायकं । धरं त्रिलोक नायकं ॥ दिनेश वंश मंडनं । महेश चाप खंडनं ॥ मुनींद्र संत रंजनं । सुरारि वृन्द भंजनं ॥ मनोज वैरि वंदितं । अजादि देव सेवितं ॥ विशुद्ध बोध विग्रहं । समस्त दूषणापहं ॥ नमामि इंदिरा पतिं । सुखाकरं सतां गतिं ॥ भजे सशक्ति सानुजं । शची पति प्रियानुजं ॥ त्वदंघ्रि मूल ये नराः । भजंति हीन मत्सराः ॥ पतंति नो भवार्णवे । वितर्क वीचि संकुले ॥ विविक्त वासिनः सदा । भजंति मुक्तये मुदा ॥ निरस्य इंद्रियादिकं । प्रयांति ते गतिं स्वकं ॥ तमेकमद्भुतं प्रभुं । निरीहमीश्वरं विभुं ॥ जगद्गुरुं च शाश्वतं । तुरीयमेव केवलं ॥ भजामि भाव वल्लभं । कुयोगिनां सुदुर्लभं ॥ स्वभक्त कल्प पादपं । समं सुसेव्यमन्वहं ॥ अनूप रूप भूपतिं । नतोऽहमुर्विजा पतिं ॥ प्रसीद मे नमामि ते । पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥ पठंति

पर स्त्री के प्रति पुरूष का स्वभाव

व्यक्ति राह पर आगे बढ़ते हुए एक कोमल स्वभाव, गरिमापूर्ण, आकर्षक कुंवारी स्त्री को देखता है।  व्यभिचारी पुरुष अपने आंखो से उसे देखते हुए आगे बढ़ते हैं, उनके लोभी, मन में उसके इस भौतिक शरीर के प्रति एक प्रकार की आकांक्षा जन्म लेती है और वह उसे प्राप्त करने हेतु लालायित हो उठता है ।  व्यभिचारी दंभी पुरूष उस स्त्री को प्राप्त करने के साम, दाम, दण्ड, भेद के प्रकारों पर विचार करने लगता है।  व्यभिचारी पुरुष अगर अविवाहित है तो उसके मन में विवाह की इक्षा जन्म लेती है और अगर वह विवाहित हैं तो वह उस स्त्री से मित्रता की चेष्टा करता है । कर्तव्य परायण विवाहित पुरुष अगर किसी आकर्षक सुंदर स्त्री को देख भी ले और उसके प्रति आकृष्ट भी हो जाए तो भी वह अपने मन को वश में करते हुए अपना ध्यान अपने धर्म पर केंद्रित करता है । कर्तव्य परायण विवाहित पुरुष जो व्यभिचारी तो नही है परन्तु कामुक स्वभाव का है वह किसी दूसरी सुंदर अप्सरा को देखने पर अपने मन में अपनी पत्नी की एक सुंदर छवि की कलपना करता है और अपने काम भावना को अपनी पत्नी की तरफ़ केंद्रित करता है।  एक भद्र पुरुष जो अपने जीवन को अब एक लक्ष्य के तरफ़ केंद्र

भगवान से प्रश्न:

प्रश्न : मैने भगवान से एक बात प्रश्न पूछा अगर वह किसी को मृत्यु देना चाहते हैं, तो वह व्यक्ति जब निद्रा में रहता है तब उससे निद्रा से ही अपने पास बुला लेना चाहिए इससे ना तो किसी को पीड़ा होगी, ना ही किसी को कष्ट होगा व्यक्ति सो रहा था और सोते-सोते आराम से चले जाएगा ।  मैने ईश्वर से यह भी कहा कि आप लोगों को कष्ट देना चाहते हैं । शायद आपको ने तड़पाना पसंद है उनकी तकलीफ देखकर शायद आपको आनंद आता होगा इसलिए आपने लोगों को तड़पा कर मारना पसंद है । लोग बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं उनके अंदर कष्ट उत्पन्न होता है पीड़ा होती है, उनका एक्सीडेंट होता है, वह रोड पर चलते हैं और कहीं पर उनका हाथ कट जाता है तो कहीं उनका पैर कट जाता है, किसी का सिर फूट जाता है, और दर्द तकलीफ से वह एक दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं क्या मृत्यु इस तकलीफ के साथ आना आवश्यक है ? उत्तर: प्रभु श्री हरि ने मेरे मन के अंदर ही उत्तर दिया कि वह किसी को तड़पाना नहीं चाहते परंतु लोगों को अपनी जीवन की बहुमूल्यता समझना आवश्यक है , कई बार लोग क्रोध में अथवा जलन ईर्ष्या ग्लानि अन्य भाव उसे भगवान से मृत्यू की इच्छा करते हैं , अगर भ