शिक्षा क्षेत्र, पैसे का खेल और धर्मांतरण का बढ़ता प्रभाग

बस्तर में मिशनरी शिक्षण संस्थान और धर्मांतरण: एक वित्तीय विश्लेषण और विचारणीय प्रश्न

बस्तर संभाग, अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, शिक्षा के क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित संस्थानों की बड़ी संख्या के लिए भी उल्लेखनीय है। इन संस्थानों की वित्तीय कार्यप्रणाली और उनके कथित सामाजिक प्रभावों पर अक्सर बहस होती रही है। यह लेख इन संस्थानों की आय-व्यय के एक अनुमानित विश्लेषण के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है, विशेषकर धर्मांतरण के संदर्भ में।

एक प्रमुख मिशनरी स्कूल का वित्तीय अनुमान

आइए, जगदलपुर में स्थित एक बड़े मिशनरी स्कूल का उदाहरण लेते हैं, जहाँ छात्रों की कुल संख्या लगभग 4000 है। यदि हम कक्षा 1 से 12 तक के प्रत्येक छात्र की औसत मासिक फीस ₹2000 मानें (कुछ कक्षाओं में कम और कुछ में अधिक होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए), तो इसकी मासिक आय का अनुमान इस प्रकार लगाया जा सकता है:

* **मासिक आय:** ₹2000 (औसत फीस) × 4000 (छात्र) = ₹80 लाख
* **वार्षिक आय:** ₹80 लाख × 12 महीने = ₹9 करोड़ 60 लाख से अधिक

अब, इसके संभावित खर्चों पर विचार करते हैं। यदि विद्यालय में 100 शिक्षक और 40 अन्य कर्मचारी हैं, और हम प्रति कर्मचारी प्रति माह औसतन ₹25,000 का खर्च मानते हैं (जिसमें कुछ शिक्षकों की ₹10,000, कुछ कर्मचारियों की ₹15,000 और वरिष्ठों की ₹40,000 तक की तनख्वाह शामिल हो सकती है), तो:

* **कर्मचारी वेतन पर मासिक खर्च:** 140 (कर्मचारी) × ₹25,000 = ₹35 लाख
* **कर्मचारी वेतन पर वार्षिक खर्च:** ₹35 लाख × 12 महीने = ₹4 करोड़ 20 लाख

इसके अतिरिक्त, विद्यालय के रखरखाव, नए फर्नीचर, कमरों के निर्माण, पुस्तकों और कॉपियों जैसी आवश्यकताओं पर सालाना ₹1 करोड़ का खर्च मान लेते हैं। यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि विद्यालय कुछ जरूरतमंद बच्चों, विशेषकर अपने धर्मावलंबियों के बच्चों की ₹50 लाख तक की फीस माफ करता होगा।

इन सभी खर्चों को मिलाकर, विद्यालय का कुल वार्षिक खर्च अधिकतम ₹4.20 करोड़ (वेतन) + ₹1 करोड़ (रखरखाव) + ₹0.50 करोड़ (फीस माफी) = **₹5 करोड़ 70 लाख** के आसपास आता है।

इस अनुमान के बाद भी, विद्यालय के पास सालाना **₹3 करोड़ 90 लाख से अधिक** (₹9.60 करोड़ - ₹5.70 करोड़) का अधिशेष बचता है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा के क्षेत्र में होने के कारण इन संस्थानों को सरकार को कोई कर भी नहीं देना पड़ता। यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि यह विशाल अधिशेष राशि कहाँ और कैसे उपयोग की जाती होगी?

बस्तर संभाग में मिशनरी संस्थानों का व्यापक जाल

जगदलपुर में निर्मल विद्यालय, विद्या ज्योति दीप्ति कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, मिशन स्कूल, ज्ञानोदय जैसे कई ईसाई मिशनरी स्कूल मौजूद हैं। कोंडागांव जिले में चावरा विद्यालय और कांकेर में सेंट माइकल जैसे संस्थान भी हैं। पूरे बस्तर संभाग में ऐसे 40 से अधिक शिक्षण संस्थान (स्कूल और कॉलेज सहित) संचालित हैं।

यदि हम इन 40 संस्थानों की औसत वार्षिक आय ₹2 करोड़ भी मान लें (जैसा कि ऊपर के उदाहरण में एक स्कूल की आय ₹3 करोड़ 90 लाख से अधिक थी), तो बस्तर संभाग में इनकी कुल वार्षिक आय **₹80 करोड़ से अधिक** हो जाती है।

यह विचारणीय है कि जिन संस्थानों की केवल बस्तर में ही वार्षिक आमदनी ₹80 करोड़ से अधिक है, क्या उन्हें धर्मांतरण जैसी गतिविधियों के लिए वास्तव में बाहर के विदेशी संस्थानों से आर्थिक सहायता लेने की आवश्यकता होगी? यह संभव है कि वे अपनी आंतरिक आय से ही ऐसी गतिविधियों को वित्तपोषित करने में सक्षम हों।

सरकारी स्कूलों की बदहाली और मिशनरी संस्थानों का उदय

एक और महत्वपूर्ण पहलू सरकारी शिक्षा प्रणाली की स्थिति है। 1980 के दशक से लेकर 2010 तक, सरकारी स्कूलों को कथित तौर पर बदहाली की ओर धकेला गया। शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई, विद्यालयों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया, और कई जगह तो उचित भवन भी उपलब्ध नहीं थे। इस दौरान, देश का मध्यम और उच्च वर्ग, जो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहता था, शासकीय स्कूलों की जगह इन ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित निजी संस्थानों में दाखिला लेने लगा। कई विश्लेषकों का मानना है कि यही वह समय था जब धर्मांतरण के "खेल" को एक नया आयाम मिला।

एक गंभीर आत्मचिंतन की आवश्यकता

यह एक कड़वी सच्चाई है कि इन मिशनरी स्कूलों में महंगे फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाने वाले 80 से 90% छात्र हिंदू समुदाय से ही होते हैं। जब तक हिंदू वर्ग अपने बच्चों को इन ईसाई मिशनरी संस्थानों में भेजता रहेगा, तब तक हम धर्मांतरण के लिए फंडिंग को रोकने का विचार भी अपने मन में नहीं ला सकते, क्योंकि इन संस्थानों को करोड़ों रुपये उपलब्ध कराने वाले स्वयं हम हिंदू ही हैं।

यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर समाज के हर वर्ग को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

**रामभक्त**

---

Comments

Popular posts from this blog

11th Chemistry - Important Question's

12th - Chemistry : Most Important Question

अयोध्या का अनसुना योद्धा -