भगवान से प्रश्न:
प्रश्न : मैने भगवान से एक बात प्रश्न पूछा अगर वह किसी को मृत्यु देना चाहते हैं, तो वह व्यक्ति जब निद्रा में रहता है तब उससे निद्रा से ही अपने पास बुला लेना चाहिए इससे ना तो किसी को पीड़ा होगी, ना ही किसी को कष्ट होगा व्यक्ति सो रहा था और सोते-सोते आराम से चले जाएगा ।
मैने ईश्वर से यह भी कहा कि आप लोगों को कष्ट देना चाहते हैं । शायद आपको ने तड़पाना पसंद है उनकी तकलीफ देखकर शायद आपको आनंद आता होगा इसलिए आपने लोगों को तड़पा कर मारना पसंद है । लोग बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं उनके अंदर कष्ट उत्पन्न होता है पीड़ा होती है, उनका एक्सीडेंट होता है, वह रोड पर चलते हैं और कहीं पर उनका हाथ कट जाता है तो कहीं उनका पैर कट जाता है, किसी का सिर फूट जाता है, और दर्द तकलीफ से वह एक दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं क्या मृत्यु इस तकलीफ के साथ आना आवश्यक है ?
उत्तर: प्रभु श्री हरि ने मेरे मन के अंदर ही उत्तर दिया कि वह किसी को तड़पाना नहीं चाहते परंतु लोगों को अपनी जीवन की बहुमूल्यता समझना आवश्यक है , कई बार लोग क्रोध में अथवा जलन ईर्ष्या ग्लानि अन्य भाव उसे भगवान से मृत्यू की इच्छा करते हैं , अगर भगवान उस क्षण में उसकी इच्छा को पूरी कर दे तो शायद उसे जन्म देने का कोई अर्थ ही नहीं बचेगा । भगवान किसी को तड़पा कर अथवा पीड़ा देकर समाप्त नहीं करना चाहते , व्यक्ति हमेशा अपने स्वयं के लिए गए निर्णयों के अनुसार ही अपनी गति को प्राप्त होता है । जब व्यक्ति का बुढ़ापा आता है तब उसे अपने जीवन का महत्व पता चलता है, उसे समझ जाता है तो उसे प्राप्त जीवन कितना बहुमूल्य था, और वह उसे किस तरह व्यर्थ में पानी के जैसे बहा रहा था । ईश्वर कभी भी किसी के सुख पूर्वक जीवन को समाप्त नहीं करते, व्यक्ति जब सुखी रहता है तो ईश्वर उसे पर्याप्त रूप से जीवन का आनंद लेने देते हैं । परंतु जब वह अपने फैसलों के अनुरूप कष्ट या पीड़ा में जाता है तब प्रभु उसके कष्टों को हरने के लिए उसे अपने पास बुला लेते हैं , और इसीलिए हमें लगता है कि हम कष्ट पूर्वक मृत्यु को प्राप्त कर रहे हैं । परंतु हम यह नहीं समझ पाते कि हम कष्टपूर्वक नही, कष्टों से मुक्ति के लिए मृत्यु को प्राप्त कर रहे हैं ।
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