मजदूरों के पलायन की असली वजह :

मजदूर गांव क्यों भाग रहे हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि गांव भूखा नहीं मरने देगा। गांव में बेकारी है लेकिन भुखमरी नहीं है। लाख विपन्नताओं के बाद भी गांव में भूख से शायद ही कोई मरता हो।
शहर आवश्यकता नहीं सपने पूरा करता है ।
आवश्यकता के लिए अपनी मिट्टी में ही आना होता हैं ।

बहुत सी कंपनियां सिर्फ पैसे कमाने के लिए ही बैठी है।वो लगातार अमीर हो रहे हैं पर अपने मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं कर रहे । लोग सरकार को लाख गालियां दे पर सरकारी कंपनी कभी भी अपने मजदूरों के साथ ऐसा वयवहार नहीं करते हैं । पर आरक्षण जैसे कानून के कारण सरकारी कंपनियां अपने अयोग्य अधिकारियों के कारण बर्बाद हो रही हैं ।

जहां तक मजदूरों के पलायन की बात है , शायद वो अपनी जगह सही हैं । जड़े जड़े होती हैं ...आज उन्हें सपने नही आवश्यकता पूर्ण करनी हैं ।
वह भी तब जब कोई सरकारी सहायता नहीं आ रही। कोई एनजीओ राशन बांटने नहीं आ रहा। गांव अपने बलबूते पर जिन्दा है। लेकिन शहर ज्यादा दिन अपने बूते जिन्दा नहीं रह सकते।

क्योंकि न तो वो अनाज पैदा करते हैं, न पानी पैदा करते हैं। वो जो पैदा करते हैं उसे खा नहीं सकते।
इसीलिए सभ्यता की इक्कीसवीं सदी में भी गांव शहरों से श्रेष्ठ हैं। एक सभ्यता के लिए गांव होना जरूरी हैं ।

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